सोमवार, 29 सितंबर 2008

मीतजी के शानदार शेर पर ये शेर देखिये

हमारी पिछली पोस्ट पर दिल पर जो शेर पेश हुए थे उस पर आदरणीय और प्रिय मीत जी ने बहुत ही शानदार शेर के साथ टिप्पणी की थी । उस वजह से एक और शेर याद आ गया। लीजिये पेश है-


निगाह वो के जो पैबस्त दिल में हो जाए,
जो चोट खा के पलट आए वो निगाह नहीं !


---नामालूम

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

क्या बात है, बहुत खूब!! जियो!!

seema gupta ने कहा…

"wah wah wah"

"क्या ख़बर थी की गुरुर-ऐ-हुस्न इस तरह हावी होगा,
वो आइना देखेंगे और उनकी निगाह ही बदल जायेगी"

Regards